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डूटा प्रेस विग्यप्ति, १५.०३.२०१८

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आरक्षण नीति में बदलाव से सम्बंधित 5 मार्च-18 को जारी यू.जी.सी की अधिसूचना के खिलाफ, आज डूटा की ‘प्रतिरोध-रैली’ में हजारों शिक्षकों ने हिस्सा लिया

यह प्रतिरोध-रैली बिना शर्त इस अधिसूचना को वापस लिए जाने की मांग के साथ मंडी हॉउस से शुरू होकर संसद मार्ग तक पहुंची. 5 मार्च-18 को जारी इस अधिसूचना में यू.जी.सी. ने विश्वविद्यालयों को ‘विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय को इकाई बनाये जाने की अभी तक जारी प्रणाली को बदलकर विभाग/विषय को इकाई बनाते हुए, दोबारा से आरक्षण रोस्टर बनाने के दिशा-निर्देश दिए हैं. जो पूरी तरह से अनुचित और सामाजिक न्याय के सवाल को पीछे धकेलने वाला है. इस प्रतिरोध रैली में ‘Joint Action Committee to Save Reservation’ और  committed to the cause of social justice जैसे कई मंचों और संगठनों ने सक्रिय भागेदारी की. इसी के साथ प्रतिरोधियों ने आरक्षण नीति में बदलावों का निर्देश देने वाली इस अधिसूचना को नकारते हुए, इसकी प्रतियों को आग के हवाले करते हुए अपना आक्रोश प्रकट किया.

प्रतिरोध-रैली को संबोधित करने वाले सभी वक्ताओं ने इस बात को जोर देकर रखा कि ‘विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय को इकाई बनाकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने के अपने 2006 के आदेश से एकदम उलट जाते हुए, यू.जी.सी. द्वारा प्रस्तावित इस नई रोस्टर प्रणाली में शैक्षणिक पदों में अनु.जाति/अनु.जन/अ.पि.व वर्गों के लिए संविधान द्वारा प्रदत्त क्रमशः 15%, 7.5% और 27% आरक्षण की व्यवस्था कभी भी पूरी नहीं की जा सकेगी. साथ ही छोटे विभाग तो इस ‘प्रणाली’ में बुरी तरह प्रभावित होंगे. ऐसे में यू.जी.सी. द्वारा अचानक ‘यू-टर्न’ लेते हुए आरक्षण नीति में पीछे ले जाने वाले बदलावों से भरी यह अधिसूचना पूर्णत: अनुचित और अस्वीकार्य है.

इसी के साथ आरक्षण नीति में निर्देशित इन बदलावों से दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञापित करीब दो हजार पदों के लिए होने वाली नियुक्तियों को बड़ा झटका लगा है. विश्वविद्यालय में हजारों तदर्थ और अस्थायी शिक्षक काम कर रहे हैं. डूटा लम्बे समय से इन पदों पर स्थाई नियुक्तियों की मांग करती रही है.

इस सन्दर्भ में, डूटा ने 14.03.2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी एक पत्र लिखा है जिसमें डूटा ने प्रधानमंत्री जी से 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली को समुचित रूप से लागू किये जाने के लिए उनके तुरंत और प्रभावी हस्तक्षेप की मांग की है. इसी के साथ डूटा  एम.एच.आर.डी. से भी अपील करती है कि वो सुप्रीम कोर्ट की संविधानिक बेंच के समक्ष एक पुनर्विचार याचिका दाखिल करे. साथ ही, डूटा की यह सामूहिक राय है कि इस मसले को पूरी तरह से संसद की ‘स्टैंडिंग कमेटी’ के पास हस्तांतरित किया जाना चाहिए. इस सन्दर्भ में डूटा ने आज एम.एच.आर.डी. को ज्ञापन सौंपा. डूटा सामाजिक न्याय के मुद्दे के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और यह स्पष्ट करती है कि अगर जल्द से जल्द 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली को वापस लागू नहीं किया गया तो डूटा अपने इस प्रतिरोध को और भी व्यापक और तीखा बनाने से पीछे नहीं हटेगी.

 राजीब रे
(डूटा अध्यक्ष)
विवेक चौधरी
(डूटा सचिव)

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