सातवें वेतन आयोग के खिलाफ़ DUTA का मार्च
आज दिनांक 21 नवम्बर 2017 को 11 बजे दिल्लीविश्वविद्यालय केहजारोंशिक्षकों ने मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक विशाल रैली निकाली| 2 नवम्बर 2017 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किये गए सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ यह रैली शिक्षकों द्वारा की गयी| इस रिपोर्ट में हर स्तर पर वेतनमान की व्यवस्था में कमियाँ मौजूद हैं | एक तरह से आजाद भारत में सरकार द्वारा दिए गए वेतन आयोगों में सबसे कमजोर यह सातवाँ वेतन आयोग है| रिपोर्टको देखते हुए यह कहा जा सकता है किएक तरफ सरकार जहाँ उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने और लोगों तक पहुचाने की बात कर रही है, वहीँ दूसरी ओर एम्.फिल / पीएचडीपर दिए जाने वाले इन्क्रीमेंट को हटाकर उच्च शिक्षा के मानक को ही बदल दिया है | वेतन आयोग की रिपोर्ट के माध्यम से कॉलेज के शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग में डाउनग्रेडकिया गया है| यहाँ तककिकॉलेजों में प्रिसिपलों केपद को भी डाउनग्रेड किया गया है | इस आयोग में साफ़तौर पर दिया गया है कि प्रिंसिपल कॉलेज में अपना समय पूरा करनेके बाद वापस एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर ही अपने कार्यभार पर लौटेगा | दूसरे अर्थों में एक तरह से यह कॉलेजों में प्रोफेसरशिप न देने की योजना है |
इस आयोग की रिपोर्ट से सरकार ने केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों में बजट को घटाने की बात की है, जहाँकेंद्रीय विश्वविद्यालयों को 30 प्रतिशत और राज्य विश्वविद्यालयों को 50 प्रतिशत बजट खुद ही जुटाना पड़ेगा | इस तरीके से भारत सरकार शिक्षा को निजीकरण के रास्ते पर ले जा रही है | यह देश के दुर्भाग्यपूर्ण है |
इन सारे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हीआज दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने DUTA के बैनर तले विशाल मार्च निकल कर सातवें वेतन आयोग के खिलाफ़ अपना विरोध दर्ज किया तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किये गये रिपोर्ट का एक क्रिटीक तैयार कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा जिसमें साफतौर पर यह मांग की है कि सातवें वेतन आयोग में जो कमियां हैं उन्हें तुरंत दुरुस्त किया जाए और साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गठित चौहान समिति की अनुशंसा वालीरिपोर्ट को जारी किया जाए|इन सबके साथ प्वाइंट बेस एप्रिजल सिस्टम को भी पूरे तौर पर वापस लिया जाए|
रजिब रे अध्यक्ष, DUTA |
विवेक चौधरी सचिव, DUTA |
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