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डूटा प्रेस विग्यप्ति, १६.०३.२०१८

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जन सम्वाद:उच्च शिक्षा के सरकारी वित्तपोषण के बचाव में।

सरकार की शिक्षा,शिक्षक और छात्र विरोधी नितियों का विरोध करने के लिये आज दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों ,कालेज के शिक्षकों और छात्रों ने बड़ी सँख्या में डूटा के कार्यक्रम जनसम्वाद में हिस्सा लिया।

आन्दोलन को विश्वविद्यालय परिषद से आगे जन आन्दोलन बनाने की दिशा में पास पास के महाविद्यालयों का अलग अलग समूह बनाया था जिनके शिक्षकों और छात्रों ने हैन्डबिल्स बाँटे और आम जनता को सरकारी वित्त पोषित सँस्थानों पर हो रहे हमले से अवगत भी कराया।यह जन सम्पर्क अभियान दिल्ली के १६ महत्वपूर्ण स्थानों पर आयोजित किया गया जो विश्वविद्यालय और कालेज समूह के पास थे ।उदाहरणार्थ राजीव चौक मेट्रो स्टेशन,कमला नगर और नेहरुप्लेस मेट्रो स्टेशन, इत्यादि।

एमएचआरडी द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हालफिलहाल जो नितिगत बदलाव किये गये हैं और उसका समाज पर पड़ते हुये दुष्प्रभाव को जानकर और सुनकर लोग सकते में थे।

वित्तपोषण का ३०:७० का नया सूत्र जिसके अनुसार विश्वविद्यालयों को अतिरिक्त सँसाधनों को जुटाने के लिये कम से कम ३० प्रतिशत राशि का इन्तेजाम खुद करने के लिये कहा गया है परिणाम स्वरुप छात्रों की फीस में अत्यधिक बृद्धि होगी जिसकी वजह से छात्रों के लिये उच्च शिक्षा हासिल करना दूर की कौड़ी होगी विशेषकर महिलाओं और वँचित तबके के लिये।

जिस तरह से सरकारी वित्तपोषण की जगह हेफा के अन्तर्गत अतिरिक्त सँसाधनों को जुटाने के लिये लोन आधारित वित्तपोषण विधि को अपनाया गया है उसके नतीजे खतरनाक होंगे:

या तो सँस्थान दुर्बल होंगे जिससे सँस्थानों की गुँणवत्ता प्रभावित होगी या अतिरिक्त सँसाधन मुहय्या कराने के लिये सारा वित्तिय बोझ छात्रों पर पड़ेगा।

श्रेणीबद्ध स्वायत्ता की वजह से सरकारी सँस्थानों में विभिन्न स्तरों पर  सरकार द्वारा स्ववित्तपोषण और ब्यापारिकरण को सम्मिलित किया जायेगा।

लोगों को बताया गया विश्वविद्यालय में किस तरह से सरकार शिक्षकों की पदोन्नति और नियुक्ति के मामले में उदासीनता बनाये हुये है।आज विश्वविद्यालय में पढ़ा रहे ६० प्रतिशत शिक्षक तदर्थ रूप में कार्य कर रहे हैंः

शैक्षिक ब्यवसाय में प्रगति न होने की वजह से प्रतिभा पलायन होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। स्थायी नौकरी और सुनिश्चित ब्यवसाय प्रगति की तलाश में सँस्थानों के होनहार छात्र अन्य क्षेत्रों की नौकरियों में पलायन कर रहे हैं।

किसी भी मजबूत विकासशील देश के लिये उच्च शिक्षा ऋढ़ की हड्डी के समान है जो की आज सरकारी नितियों की शिकार हो रही है।इस बात को जानकर लोग हतप्रभ थे। लोगों ने शिक्षकों और छात्रों के प्रति  अपनी एकजुटता दिखाई और सरकारी वित्तपोषित सँस्थानों को बचाने की मुहिम में साथ देने की शपथ ली।

डूटा आने वाले दिनों में सरकार की शिक्षा विरोधी नितियों के खिलाफ आन्दोलन को और पुख्ता तरिके से आगे बढ़ायेगी।डूटा समाज के सभी वर्गों से एकीकृत होकर आन्दोलन में भाग लेने की अपील करती है।

भवदीय

  राजीब रे

अध्यक्ष, DUTA विवेक चौधरी
सचिव, DUTA

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