प्रेस विज्ञप्ति: यू.जी.सी के बाहर विरोध प्रदर्शन: 24.05.2018
सेंट स्टीफंस कॉलेज व हिन्दू कॉलेज को ‘स्वायत्त‘ संस्था घोषित करने की यू.जी.सी की प्रस्तावित योजना का भारी विरोध दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक-संघ ने यू.जी.सी कार्यालय के बाहर दर्ज करवाया। इस विरोध में शिक्षक और छात्र दोनों के साथ जे.एन.यू. शिक्षक संघ के अध्यक्ष, गीता कुमारी ने भी मिलकर हिस्सेदारी की।
आज “स्वायत्तता” का मसला विश्वविद्यालय के दरवाजे पर खड़ा है। आज के दिन के प्रस्तावित ‘यू.जी.सी फुल कमीशन मीटिंग‘ के महत्वपूर्ण एजेंडों में से एक स्वायत्तता का मसला था। लेकिन आज सुबह यू.जी.सी के कुछ अधिकारियों ने डूटा अध्यक्ष को इस बात से अवगत करवाया कि हिन्दू कॉलेज और सेंट स्टीफंस कॉलेज को स्वायत्त करने के मसले को यू.जी.सी ने आज की मीटिंग के प्रस्तावित अजेंडे से बाहर हटा लिया है। डूटा के लगातार विरोध व निरंतर संघर्ष के कारण यू.जी.सी को अंतिम क्षण में इस निर्णय के लिए बाध्य होना पड़ा। लेकिन इस तरह की कोई गारंटी नही कि सरकार आगे पुन: इस तरह के पब्लिक फंडेड प्रतिष्ठित संस्थानों को निजीकरण की ओर न धकेले। डूटा ने पहले ही इस तथ्य को स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय एव इससे संबद्ध कॉलेजो को स्थापित करते हुए ही विशेष अधिनियमों व प्रावधानों के तहत इसे स्वायत्त संस्था का दर्जा प्राप्त है। आज के सदर्भ में किसी भी प्रकार से नई स्वायत्तता बेमानी होगी और न्यायसंगत नही होगा, यानि कि सीधे तौर पर नई स्वायत्तता स्थापना-अधिनियम का उल्लंघन होगा। सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय के संस्थानों के भीतर “स्वायत्तता” की आड़ में नामांकन व नियुक्ति से संबन्धित नियमों में बदलाव करना चाहती है। समाज के निचले दर्जे पर आरूढ़ दलित-पिछड़ों को इन संस्थानों में आने से रोकना चाहती है। स्वायत्तता के कारण कर्मचारियों के सर्विस कंडीशन व छात्रों के फी स्ट्रक्चर को बदलकर अपरोक्ष रूप से निजीकरण को आगे बढाया जा रहा है।
डूटा एक बार फिर से यह अपील करती है कि सरकार 5 मार्च, 2018 के आरक्षण विरोधी रोस्टर को वापस ले। इस रोस्टर में भारी विसंगति है। इस आरक्षण विरोधी रोस्टर के मद्देनज़र जिस अड़ियल रवैये का परिचय यू.जी.सी अब तक दे रही है, उससे न केवल विज्ञापित नियुक्तियां प्रभावित होगी अपितु हजारों की संख्या में पढा रहे तदर्थ-शिक्षकों को भी नये (जुलाई 2018) सत्र में नियुक्ति में दिक्कत होगी।
डूटा, शिक्षक व छात्रों के साथ तब तक विरोध-प्रदर्शन करती रहेगी, जब तक यह मान न लिया जाए कि (i) दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी संस्थान को यू.जी.सी प्रस्तावित स्वायत्तता न देने की घोषणा होगी। और (ii) 5 मार्च, 2018 के आरक्षण विरोधी नोटिफ़िकेशन को वापस लेकर पुराने रोस्टर को बहाल करते हुए अविलंब विज्ञापित पदों को भरने की दिशा में पहल न हो जाए।
डूटा यह भी मांग करती है कि “सातवें वेतन आयोग” की विसंगतियों को भी वापस लिया जाए साथ में हमें पेंशन के साथ-साथ अन्य सुविधाओं पर भी अविलंब राहत मिले।
राजीब रे
अध्यक्ष, DUTA | विवेक चौधरी सचिव, DUTA |
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