दिनांक: 29.12.2022
प्रेस विज्ञप्ति
शिक्षा विरोधी अधिसूचना को वापस ले डी यू
ई डब्ल्यू एस की सीटें जारी करे सरकार
डूटा प्रेस कांफ्रेंस में आन्दोलन के लिए कॉलेजों से फीडबैक लेने की घोषणा।
डूटा ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने शिक्षक– छात्र अनुपात बढ़ाने के दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय का विरोध करते हुए यूजीसी के यूजीसीएफ करिकुलम पर भी आपत्ति दर्ज कराई। प्रेस कांफ्रेंस में प्रो. भागी ने क्लास, ट्यूटोरियल, प्रैक्टिकल साइज बढ़ाने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय अधिसूचना का विरोध करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की। प्रो. भागी ने कहा कि यूजीसीएफ पाठ्यक्रम को अगर लागू करना है तो सरकार को तुरंत प्रभाव से आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के शिक्षकों की 25 प्रतिशत सीटें जारी करनी चाहिए। सरकार को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 25 प्रतिशत पदों को जारी करने के साथ–साथ आधारभूत संरचना को विकसित करने के प्रयास कॉलेज और विभागों में करने चाहिए।
प्रो. भागी ने बताया कि सरकार क्लास, प्रैक्टिकल, ट्यूटोरियल का आकार बड़ा कर अतिरिक्त शिक्षक पदों को जारी करने से बचना चाहती है, इसी कारण क्रेडिट के घंटे भी घटाये जा रहे हैं जिसके कारण विद्यार्थियों का नुकसान होगा। पहले से चले आ रहे तीन वर्षीय पाठ्यक्रम का क्रेडिट कम करने से उसका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व कम होगा, जिससे इस पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता कम हो जाएगी। चार वर्ष का ऑनर्स पाठ्यक्रम किस तरह से लागू किया जाएगा उसकी स्पष्ट रूपरेखा दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के पास नहीं है। डूटा अध्यक्ष ने दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और यूजीसी को आगाह किया और इन दोनों मामलों में तुरंत संज्ञान लेकर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। केवल सुधार के नाम पर सुधार नहीं होना चाहिए। वैल्यू ऐडेड कोर्स को अनिवार्य (मेजर एवं माइनर) क्रेडिट में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। डूटा ने सभी कॉलेज की स्टाफ एसोसिएशन से भी इस संदर्भ में सुझाव मांगे हैं, जिसके बाद आगे के आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। डूटा इस मामले में लंबे संघर्ष के लिए तैयार है। शिक्षक छात्र अनुपात को तुरंत ठीक किया जाना चाहिए, वर्तमान अधिसूचना से शिक्षकों की संख्या मे कमी आएगी जिससे डीयू की छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। प्रो भागी ने बताया कि इस अधिसूचना से नियुक्ति प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। शिक्षक छात्र अनुपात बढ़ाने से आगामी भविष्य में कई दुष्परिणाम हो सकते हैं। डूटा इस मामले में स्टूडेंट यूनियन और पेरेंट्स से भी जल्द मुलाकात कर आंदोलन की रूपरेखा तय करेगा।
डूटा पूर्व अध्यक्ष नंदिता नारायण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा में डिजिटलाइजेशन करते वक्त सावधानी बरतनी जरूरी है। शिक्षा का व्यावसायीकरण शिक्षा के हित में नहीं है। डूटा सचिव डॉ सुरेंद्र सिंह ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने जो अधिसूचना जारी की है उसे लागू करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। डीयू प्रशासन ने अकादमिक परिषद में इस पर चर्चा और सहमति प्राप्त नही की। प्रशासन को इसे वापस लेना चाहिए। शारीरिक शिक्षा और लाइब्रेरियन भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का प्रावधान किया जाना गलत है ।इसे वापस लिया जाना चाहिए।
(Prof A K Bhagi) (Dr Surender Singh)
अध्यक्ष, DUTA सचिव, DUTA
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